Murshidabad Riot 2025: वक्फ अधिनियम विरोध प्रदर्शन, मृत्यु, घायल, प्रशासनिक कदम और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और पूरी जानकारी

Murshidabad, पश्चिम बंगाल 15 अप्रैल, 2025: पश्चिम बंगाल के Murshidabad जिले में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया, जिसके परिणामस्वरूप तीन लोगों की मौत, कई घायल और बड़े पैमाने पर संपत्ति को नुकसान हुआ। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय और राजनीतिक मंचों पर भी चर्चा का विषय बन गई है। इस लेख में हम इस हिंसा के हर पहलू को विस्तार से समझेंगे, जिसमें इसके कारण, प्रभाव, प्रशासनिक कार्रवाई, राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ और स्थानीय स्थिति शामिल हैं।

Murshidabad हिंसा की पृष्ठभूमि और कारण

Murshidabad, जो अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है, हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों के कारण सुर्खियों में रहा। यह विधेयक, जिसे केंद्र सरकार ने संसद में पारित किया, वक्फ बोर्डों की कार्यप्रणाली और संपत्तियों के प्रबंधन में बदलाव लाने का प्रस्ताव करता है। कई समुदायों, विशेषकर मुस्लिम समुदाय ने इसे अपने धार्मिक और संपत्ति अधिकारों पर हमला माना।
Murshidabad, जहाँ लगभग 70% आबादी मुस्लिम है, में यह विरोध 8 अप्रैल, 2025 को शुरू हुआ। शुरुआत में प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, लेकिन 11 और 12 अप्रैल को स्थिति बिगड़ गई। एक अफवाह कि पुलिस कार्रवाई में एक प्रदर्शनकारी की मृत्यु हो गई, ने हिंसा को और भड़काया। प्रदर्शनकारियों ने सड़कों और रेल मार्गों को अवरुद्ध किया, सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया, और पुलिस पर पथराव किया।

Murshidabad Riot 2025: हिंसा का विवरण: मृत्यु और घायल

हिंसा के दौरान Murshidabad के सुती, शमशेरगंज, धुलियान और जंगीपुर जैसे क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित रहे। यहाँ प्रमुख घटनाएँ निम्नलिखित हैं:
  1. मृत्यु:

    • जफराबाद (शमशेरगंज): हरगोबिंद दास और उनके बेटे चंदन दास की भीड़ ने धारदार हथियारों से हत्या कर दी। परिवार ने आरोप लगाया कि उनके घर में लूटपाट भी की गई। दोनों मूर्तिकार थे और हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाते थे।
    • सुती: 17 वर्षीय इजाज अहमद शेख की गोली लगने से मृत्यु हो गई। वह शुक्रवार को साजुर मोड़ पर हुई झड़प के दौरान घायल हुआ था और शनिवार को अस्पताल में उसकी मृत्यु हो गई।
    • कुछ स्रोतों ने तीसरे मृतक को एक नाबालिग बताया, जो सुती में हिंसा के बीच गोलीबारी में मारा गया। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि बाकी है।
  2. घायल:

    • कम से कम 18 पुलिसकर्मी घायल हुए, जिनमें फरक्का के एसडीओपी मोनिरुल इस्लाम भी शामिल हैं। पुलिस पर पथराव, बम फेंके गए, और कुछ क्षेत्रों में आंसू गैस का उपयोग करना पड़ा।
    • कई नागरिक भी घायल हुए, जिनमें से कुछ को कोलकाता के अस्पतालों में भर्ती कराया गया। एक नाबालिग लड़के को धुलियान में गोली लगने की खबर है, जो बीड़ी कारखाने में काम करता था।
  3. संपत्ति को नुकसान:

    • कई सरकारी और निजी वाहनों, जिनमें पुलिस जीप और बसें शामिल हैं, को आग लगा दी गई। एक एम्बुलेंस पर भी हमला होने की खबर है।
    • राष्ट्रीय राजमार्ग 12 और रेलवे ट्रैक अवरुद्ध किए गए, जिससे यातायात और रेल सेवाएँ ठप हो गईं। फरक्का-आज़िमगंज रेल खंड पर कई ट्रेनें रद्द करनी पड़ीं।
    • दुकानों, फार्मेसियों और शॉपिंग मॉल में तोड़फोड़ और लूटपाट की घटनाएँ दर्ज की गईं।

Protests Erupts In Murshidabad Over Waqf Act, Prohibitory Orders Enforced –  IN PICS

Murshidabad: प्रशासनिक कदम

हिंसा को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने त्वरित और सख्त कदम उठाए:
  1. गिरफ्तारियाँ:

    • पुलिस ने हिंसा के सिलसिले में 150 से 200 लोगों को गिरफ्तार किया। सुती से 70 और शमशेरगंज से 41 लोग हिरासत में लिए गए।
    • पश्चिम बंगाल के डीजीपी राजीव कुमार ने इसे “पूर्व-नियोजित साजिश” करार दिया और कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
  2. सुरक्षा व्यवस्था:

    • कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हिंसा पर सख्त टिप्पणी करते हुए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की तैनाती का आदेश दिया। इसके तहत बीएसएफ और सीआरपीएफ की 1600 जवानों की तैनाती की गई, जिसमें पहले से मौजूद 300 बीएसएफ जवानों के अलावा 5 अतिरिक्त कंपनियाँ शामिल हैं।
    • जंगीपुर, सुती और शमशेरगंज में भारी गश्त जारी है।
  3. प्रतिबंध:

    • धारा 163 (BNSS) लागू कर जुलूस, सभाओं और समागम पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
    • Murshidabad, मालदा और बीरभूम के कुछ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाएँ निलंबित कर दी गईं ताकि अफवाहों को रोका जा सके।

Father, son hacked to death in Bengal as Waqf protest turns violent; 110  arrested - India Today

  1. जाँच और निगरानी:

    • केन्द्रीय  गृह मंत्रालय ने स्थिति पर नजर रखने की बात कही और राज्य सरकार को हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
    • बंगाल पुलिस को संदेह है कि हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों जैसे SDPI, PFI या अंसारुल बांग्ला टीम का हाथ हो सकता है, क्योंकि मुर्शिदाबाद बांग्लादेश सीमा से सटा हुआ संवेदनशील क्षेत्र है।
  2. स्थानीय सहायता:

    • हिंसा प्रभावित परिवारों के लिए स्कूलों में आश्रय और भोजन की व्यवस्था की गई।
    • नदी मार्ग से मालदा भागने वालों की सहायता के लिए स्वयंसेवकों को तैनात किया गया।

Mamata Banerjee | Rights of Muslims will be snatched by Waqf Bill, claims West Bengal Chief Minister Mamata Banerjee in assembly - Telegraph India

Murshidabad: राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस हिंसा ने पश्चिम बंगाल और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक तनाव को बढ़ा दिया है। विभिन्न दलों और नेताओं की प्रतिक्रियाएँ निम्नलिखित हैं:
  1. ममता बनर्जी (टीएमसी):

    • मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि वक्फ अधिनियम पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होगा। उन्होंने हिंसा के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह कानून उनकी सरकार ने नहीं बनाया।
    • उन्होंने सभी धर्मों के लोगों से शांति और संयम बरतने की अपील की, और हिंसा को समाज के लिए हानिकारक बताया। ममता ने यह भी आरोप लगाया कि कुछ राजनीतिक दल धर्म का दुरुपयोग कर दंगे भड़का रहे हैं।
  2. भाजपा:

    • विपक्षी नेता सुवendu अधिकारी ने हिंसा की जाँच NIA से कराने की मांग की और इसे “राष्ट्र-विरोधी गतिविधि” करार दिया। उन्होंने ममता सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया और कहा कि हिंदू समुदाय Murshidabad में असुरक्षित है।
    • केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने ममता सरकार पर कानून-व्यवस्था बनाए रखने में विफलता का आरोप लगाया और AFSPA लागू करने की माँग की।
    • भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि यह हिंसा राज्य प्रशासन की निष्क्रियता का परिणाम है।
  3. कांग्रेस और CPI(M):

    • दोनों दलों ने ममता सरकार की आलोचना की और पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठाए। कांग्रेस ने हिंसा को राजनीतिक विफलता का परिणाम बताया, जबकि CPI(M) ने इसे सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा करार दिया।
  4. अन्य:

    • राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने हिंसा की निंदा की और कहा कि लोकतंत्र में विरोध का स्वागत है, लेकिन हिंसा अस्वीकार्य है। उन्होंने प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की माँग की।
    • मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने समुदाय से शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की।

Murshidabad: स्थानीय प्रभाव और पलायन

हिंसा के बाद Murshidabad में तनावपूर्ण शांति बनी हुई है। स्थानीय प्रभाव निम्नलिखित हैं:
  1. पलायन:

    • हिंसा के डर से लगभग 1000 से अधिक लोग, मुख्य रूप से हिंदू परिवार, नदी मार्ग से मालदा की ओर पलायन कर गए। इनमें महिलाएँ और बच्चे शामिल हैं।
    • पलायन करने वालों ने आरोप लगाया कि उनके घरों में आगजनी, लूटपाट और पानी की टंकियों में जहर मिलाने की घटनाएँ हुईं। मालदा के पारलालपुर हाई स्कूल में इन परिवारों ने शरण ली है।
    • कुछ स्थानीय लोगों ने बताया कि हिंसा में शामिल हमलावरों को वे पहचान नहीं सके, जिससे बाहरी तत्वों की संलिप्तता की आशंका बढ़ी है।
  2. आर्थिक प्रभाव:

    • दुकानें, फार्मेसियाँ और शॉपिंग मॉल बंद रहे, जिससे स्थानीय व्यापार ठप हो गया।
    • राष्ट्रीय राजमार्ग 12 और रेल सेवाओं के अवरुद्ध होने से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी प्रभावित हुई।
  3. सामाजिक तनाव:

    • हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव बढ़ गया है। कुछ हिंदू परिवारों ने कहा कि उन पर लक्षित हमले किए गए, जबकि मुस्लिम समुदाय ने पुलिस की कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण बताया।
    • सामाजिक सौहार्द को बनाए रखने के लिए स्थानीय नेताओं और धर्मगुरुओं ने शांति की अपील की है।
  4. वर्तमान स्थिति:

    • 14 अप्रैल, 2025 तक कोई नई हिंसा की खबर नहीं है। सड़कें सुनसान हैं, और भारी सुरक्षा बलों की तैनाती के कारण स्थिति नियंत्रण में बताई जा रही है।
    • कुछ पलायन करने वाले लोग मालदा से वापस लौट रहे हैं, लेकिन डर का माहौल अभी भी बना हुआ है।

Murshidabad विश्लेषण: हिंसा के व्यापक निहितार्थ

  1. सामाजिक प्रभाव:

    • Murshidabad, जो अपनी सांप्रदायिक एकता के लिए जाना जाता था, अब तनाव का केंद्र बन गया है। यह हिंसा सामाजिक सौहार्द को दीर्घकालिक नुकसान पहुँचा सकती है।
    • पलायन की घटनाएँ क्षेत्रीय जनसांख्यिकी और सामुदायिक संतुलन को प्रभावित कर सकती हैं।
  2. राजनीतिक निहितार्थ:

    • यह हिंसा 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों से पहले राजनीतिक ध्रुवीकरण को बढ़ा सकती है। टीएमसी और भाजपा के बीच आरोप-प्रत्यारोप ने पहले ही माहौल को गरमा दिया है।
    • वक्फ अधिनियम को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तनाव बढ़ सकता है, क्योंकि ममता ने इसे लागू न करने की बात कही है।
  3. प्रशासनिक चुनौतियाँ:

    • पुलिस और प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि हिंसा को शुरू में नियंत्रित नहीं किया जा सका।
    • बांग्लादेश सीमा से सटे होने के कारण, इस क्षेत्र में सुरक्षा और खुफिया निगरानी को और मजबूत करने की आवश्यकता है।

Murshidabad: निष्कर्ष और भविष्य

Murshidabad की हिंसा एक जटिल मुद्दे का परिणाम है, जिसमें धार्मिक भावनाएँ, राजनीतिक हित और सामाजिक तनाव आपस में जुड़े हुए हैं। यह घटना न केवल स्थानीय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी नीति-निर्माताओं के लिए एक चेतावनी है कि संवेदनशील मुद्दों को सावधानी से संभालने की आवश्यकता है।
  • शांति के लिए कदम: सामुदायिक नेताओं, धर्मगुरुओं और प्रशासन को मिलकर विश्वास बहाली के लिए काम करना होगा। संवाद और पारदर्शिता इस दिशा में महत्वपूर्ण हैं।
  • कानूनी कार्रवाई: हिंसा के दोषियों की निष्पक्ष जाँच और सजा सुनिश्चित करना जरूरी है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएँ न हों।
  • पुनर्वास: पलायन करने वालों की सुरक्षित वापसी और प्रभावित परिवारों के लिए आर्थिक सहायता की व्यवस्था होनी चाहिए।
मुर्शिदाबाद का इतिहास हमें सिखाता है कि यह शहर हमेशा से विविधता और सह-अस्तित्व का प्रतीक रहा है। अब समय है कि इस विरासत को संरक्षित करने के लिए सभी पक्ष एकजुट हों और शांति को प्राथमिकता दें।
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